मोदी 2026 में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देंगे ?

नरेंद्र मोदी, भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री, अपने तीसरे कार्यकाल में देश का नेतृत्व कर रहे हैं। उनका यह कार्यकाल जून 2024 में शुरू हुआ और सामान्य रूप से यह जून 2029 तक चलेगा। लेकिन पिछले कुछ समय से एक सवाल बार-बार उठ रहा है—क्या नरेंद्र मोदी 2026 में अपने पद से इस्तीफा दे देंगे? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उनकी उम्र और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की एक कथित “75 साल की नीति” को लेकर चर्चाएँ गर्म हैं। इस आर्टिकल में हम इस सवाल का विश्लेषण करेंगे, वर्तमान स्थिति, राजनीतिक परिदृश्य और बीजेपी की नीतियों के आधार पर तथ्यों को सामने रखेंगे।

वर्तमान स्थिति और राजनीतिक परिदृश्य

मार्च 2025 तक, नरेंद्र मोदी की सरकार स्थिर नजर आती है। बीजेपी और उसके गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास लोकसभा में 293 सीटें हैं, जो बहुमत के लिए पर्याप्त हैं। हाल की गतिविधियों में, जैसे मार्च 2025 में मॉरीशस का दौरा और नक्सलवाद को 2026 तक खत्म करने का लक्ष्य, मोदी सक्रिय और ऊर्जावान दिखाई दे रहे हैं। उनकी लोकप्रियता अभी भी मजबूत मानी जाती है, और कई सर्वेक्षणों में उनका समर्थन 70-75% के आसपास बताया जाता है। ऐसे में, इस्तीफे की संभावना को कोई ठोस आधार नहीं मिलता।

हालांकि, विपक्षी नेता समय-समय पर दावे करते हैं कि उनकी सरकार लंबे समय तक नहीं टिकेगी। उदाहरण के लिए, शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत ने 2026 से पहले उनके हटने की भविष्यवाणी की थी। लेकिन ये दावे ज्यादातर राजनीतिक बयानबाजी का हिस्सा लगते हैं, जिनके पीछे कोई ठोस सबूत नहीं दिखता। इसके अलावा, अगर एनडीए गठबंधन में दरार पड़ती है या कोई अप्रत्याशित संकट (आर्थिक या सामाजिक) सामने आता है, तो दबाव बढ़ सकता है। फिर भी, अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं है।

क्या है “75 साल का नियम”?

मोदी के संभावित इस्तीफे की चर्चा में सबसे बड़ा तर्क उनकी उम्र से जुड़ा है। नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को हुआ था, यानी वे सितंबर 2025 में 75 साल के हो जाएंगे। बीजेपी में एक अनौपचारिक नीति की बात होती रही है, जिसके तहत 75 साल की उम्र के बाद नेताओं को सक्रिय राजनीति से हटना पड़ता है। यह नीति औपचारिक रूप से पार्टी के संविधान में दर्ज नहीं है, लेकिन इसे कई मौकों पर लागू होते देखा गया है।

उदाहरण के तौर पर:

  • लालकृष्ण आडवाणी: 2014 में जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने, तब आडवाणी 75 साल से अधिक उम्र के थे। उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया और बाद में 2019 में लोकसभा चुनाव का टिकट भी नहीं दिया गया।
  • मुरली मनोहर जोशी: एक और वरिष्ठ नेता, जोशी को भी 75 साल की उम्र पार करने के बाद सक्रिय राजनीति से हटना पड़ा।
  • सुमित्रा महाजन: पूर्व लोकसभा स्पीकर को भी 2019 में टिकट से वंचित कर दिया गया, जब उनकी उम्र 75 से अधिक थी।

इन नेताओं को “मार्गदर्शक मंडल” में शामिल किया गया, जो एक औपचारिकता मात्र थी। इस प्रथा को “75 साल का नियम” कहा जाने लगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह नियम मोदी पर भी लागू होगा?मोदी के संभावित इस्तीफे की चर्चा में सबसे बड़ा तर्क उनकी उम्र से जुड़ा है। नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को हुआ था, यानी वे सितंबर 2025 में 75 साल के हो जाएंगे। बीजेपी में एक अनौपचारिक नीति की बात होती रही है, जिसके तहत 75 साल की उम्र के बाद नेताओं को सक्रिय राजनीति से हटना पड़ता है। यह नीति औपचारिक रूप से पार्टी के संविधान में दर्ज नहीं है, लेकिन इसे कई मौकों पर लागू होते देखा गया है।

उदाहरण के तौर पर:

  • लालकृष्ण आडवाणी: 2014 में जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने, तब आडवाणी 75 साल से अधिक उम्र के थे। उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया और बाद में 2019 में लोकसभा चुनाव का टिकट भी नहीं दिया गया।
  • मुरली मनोहर जोशी: एक और वरिष्ठ नेता, जोशी को भी 75 साल की उम्र पार करने के बाद सक्रिय राजनीति से हटना पड़ा।
  • सुमित्रा महाजन: पूर्व लोकसभा स्पीकर को भी 2019 में टिकट से वंचित कर दिया गया, जब उनकी उम्र 75 से अधिक थी।

इन नेताओं को “मार्गदर्शक मंडल” में शामिल किया गया, जो एक औपचारिकता मात्र थी। इस प्रथा को “75 साल का नियम” कहा जाने लगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह नियम मोदी पर भी लागू होगा?

बीजेपी का आधिकारिक रुख

बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने इस सवाल को बार-बार खारिज किया है।

  • अमित शाह ने मई 2024 में कहा, “बीजेपी के संविधान में उम्र की कोई सीमा नहीं है। मोदी जी 2029 तक नेतृत्व करेंगे और भविष्य में भी आगे बढ़ेंगे।”
  • जेपी नड्डा, पार्टी अध्यक्ष, ने भी पुष्टि की कि यह एक गलत धारणा है और ऐसा कोई लिखित नियम नहीं है।
  • हिमंत बिस्वा सरमा जैसे नेताओं का कहना है कि मोदी तब तक पीएम रहेंगे, जब तक उनकी सेहत अनुमति देती है।

विपक्ष, खासकर अरविंद केजरीवाल ने 2024 के चुनावों में यह मुद्दा उठाया था कि क्या मोदी खुद अपने बनाए “नियम” का पालन करेंगे। लेकिन बीजेपी ने स्पष्ट किया कि यह नियम मोदी ने नहीं बनाया, और यह हर नेता पर लागू नहीं होता।

अपवाद और लचीलापन

इस “75 साल की नीति” को हमेशा सख्ती से लागू नहीं किया गया। कुछ उदाहरण हैं:

  • बीएस येदियुर: कर्नाटक के मुख्यमंत्री तब बने, जब वे 75 से अधिक उम्र के थे।
  • राज्यपाल नियुक्तियाँ: कई नेताओं को 75 के बाद राज्यपाल जैसे पदों पर नियुक्त किया गया, जो तकनीकी रूप से सक्रिय राजनीति से अलग हैं।

यह दिखाता है कि बीजेपी इस नीति को लचीले ढंग से लागू करती है, खासकर जब बात बड़े नेताओं की हो।

यह दिखाता है कि बीजेपी इस नीति को लचीले ढंग से लागू करती है, खासकर जब बात बड़े नेताओं की हो।

क्या कहते हैं संकेत?

मोदी ने खुद कभी यह संकेत नहीं दिया कि वे 75 साल की उम्र में इस्तीफा देंगे। उनकी सेहत अच्छी मानी जाती है, और वे सक्रिय रूप से देश और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर काम कर रहे हैं। भारतीय संविधान में भी प्रधानमंत्री की उम्र को लेकर कोई सीमा नहीं है। अगर उनकी लोकप्रियता और गठबंधन का समर्थन बरकरार रहा, तो 2026 में इस्तीफा देने की संभावना कम ही लगती है। हालांकि, भविष्य की अनिश्चितता को नकारा नहीं जा सकता—कोई बड़ा संकट, स्वास्थ्य समस्या, या राजनीतिक उथल-पुथल इस समीकरण को बदल सकती है।

कहना मुश्किल है

फिलहाल उपलब्ध जानकारी के आधार पर, यह कहना मुश्किल है कि नरेंद्र मोदी 2026 में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। बीजेपी में “75 साल का नियम” एक अनौपचारिक प्रथा रही है, जिसने कई नेताओं को सक्रिय राजनीति से हटने के लिए मजबूर किया, लेकिन इसे मोदी पर लागू करने का कोई ठोस संकेत नहीं है। उनकी सरकार स्थिर है, और पार्टी का समर्थन मजबूत दिखता है। फिर भी, राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं। क्या आपको लगता है कि कोई विशेष घटना उनके इस्तीफे का कारण बन सकती है? अपनी राय कमेंट्स में जरूर साझा करें!